तन्हा हूँ, अकेला नहीं हूँ मैं|
किसी को बहुत प्यारा हूँ, सौतेला नहीं हूँ में|
किसी की आँखों का नूर हूँ,
किसी की जिंदिगी का सुरूर हूँ|
खुद बेबस हूँ तो क्या, किसी की मजबूरी नहीं हूँ मैं|
वक़्त के सितम, जज्बातों ने सहे,
भीगती पलकों ने, कितने अफ़साने कहे|
गम के समंदर में हूँ, अभी डूबा नहीं हूँ मैं|
किसी की साँसों में महकता हूँ मैं,किसी के दिल मैं धड़कता हूँ मैं|
इस धुप में उनके दामन की छाव को, भुला नहीं हूँ मैं|
अभी है और साँसे इस जिस्म में, अभी है और सफ़र बाकी,
कुछ लम्हों से उदास हूँ, अभी रोया नहीं हूँ मैं|
उन अकेली बातों में, उन तनहा रातों में|
नींदों में जला कर ख्वाबों को, राख के साथ सोया बहूत हूँ मैं|
उनकी आँखों में ठहरा हुआ अश्क हूँ मैं,
जिसका इंतज़ार है उनको,वो शक्स हूँ मैं|
माना की थक गया हूँ, अभी टूटा नहीं हूँ मैं|
जीता है कोई जिन में तनहा, उन लम्हों का गवाह हूँ सदा|
माना की बिछड़ा हूँ यार से, कसमों को भुला नहीं हूँ मैं|
अभी हसने गाने के दिन है तुम्हारे,
पर ये मत भूलो,
जिन सदमों का डर है तुम्हे, उन सदमों से खेला बहोत हूँ मैं|
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