दिल कुछ भारी सा है,
आज रोने का मन करता है|
कुछ उदासी है ज़हन में,
देर तलक सोने का मन करता है|
ये बंदिशे तोड़ के ज़माने की,
आज उड़ने का मन करता है|
दिन बीत रहा है हर रोज़ की तरह,
आज कहीं खोने का मन करता है|
दूरियाँ और भी बढा दी हमने,
रास्तों को मोड़ने का मन करता है|
खो गया हूँ अपनी आवारगी में,
किसी को घर छोड़ने का मन करता है|
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