दिल आज भी तुझ पे फ़िदा है


कुछ तो अब भी तुझ से जुड़ा है,
के दिल आज भी तुझ पे फ़िदा है|

उसकी नज़र-ए-करम असां नहीं,
वो ऐसे ही नहीं मेरा खुदा है|
के दिल आज भी तुझ पे फ़िदा है…

बस एक हाथ की दूरी और हम,
वो मिलकर भी नहीं मिला है|
के दिल आज भी तुझ पे फ़िदा है…

चुभता रहा आँखों में देर तलक,
जाने क्या कुछ जल बुझा है|
के दिल आज भी तुझ पे फ़िदा है…

ये समझ गए हैं मेरे यार अब,
मेरी संगत का अंजाम बुरा है|
के दिल आज भी तुझ पे फ़िदा है…

सच सीधा सदा ही तो है,
हर कोई अपनी मौत ही मरा है|
के दिल आज भी तुझ पे फ़िदा है…

अब इसका जवाब लाऊं कहाँ से,
सवाल जो मेरे आगे खड़ा है|
के दिल आज भी तुझ पे फ़िदा है…

कुछ तो खता होगी तेरी भी ‘वीर’,
जो उसके होठों पर सिर्फ गिला है|
के दिल आज भी तुझ पे फ़िदा है…

तू भी बेवफा निकला साये सा ‘वीर’,
मेरा होकर भी मुझसे जुदा है|
के दिल आज भी तुझ पे फ़िदा है…

टिप्पणी करे