फासले खुद से खुद के

फासले खुद से खुद के, मिटाए ना गए,
झूट खुद से खुद के, भुलाये ना गए|

तामीर किया था बड़ी शिददत से इसे,
घर खुद से खुद के, जलाये ना गए|

खोकले उसूलों ने छुपा दिया आइना,
राज़ खुद से खुद के, बताये ना गए|

सुलझी जिंदिगी कुछ उलझी इस तरह,
तार खुद से खुद के, सुलझाए ना गए|

हालात को बना के मुजरिम वफ़ा का,
वादे खुद से खुद के, निभाए ना गए|

यूँ मशरूफ रहा उम्र भर दुनिया में,
रिश्ते खुद से खुद के, बनाए ना गए|

बेबसी की चादर ओढ़ रखी है,
कुसूर खुद से खुद के, उठाये ना गए|

बरसों इन चिरागों से रोशन थी राहें ‘वीर’,
ख्वाब खुद से खुद के, भुजाए ना गए|