बेरुखी अदा कब से हो गयी


बेरुखी अदा कब से हो गयी,
गिला बददुआ कब से हो गयी|

ऐतराज़ ना ज़ाहिर किया जो,
ख़ामोशी रज़ा कब से हो गयी|
बेरुखी अदा कब से हो गयी…

कराह उठे हम ज़ख्मों से,
चीख सदा कब से हो गयी|
बेरुखी अदा कब से हो गयी…

उस लम्हे का इल्म नहीं,
जिंदिगी सज़ा कब से हो गयी|
बेरुखी अदा कब से हो गयी…

सुखी रहती हैं बारिशों में भी,
आंखें खफा कब से हो गयी|
बेरुखी अदा कब से हो गयी…

ये तो फितरत ही थी हमारी,
आवारगी बला कब से हो गयी|
बेरुखी अदा कब से हो गयी…

बदल दिए मायने मोहब्बत के,
बंदगी वफ़ा कब से हो गयी|
बेरुखी अदा कब से हो गयी…

रौशन थी इनसे राहें कभी,
उम्मीदें धुआं कब से हो गयी|
बेरुखी अदा कब से हो गयी…

कहाँ खो गयी पहचान ‘वीर’,
खुदी जुदा कब से हो गयी|
बेरुखी अदा कब से हो गयी…

2 Responses

  1. उस लम्हे का इल्म नहीं,
    जिंदिगी सज़ा कब से हो गयी|

    bahut achchhi pankiyaan…..

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