अनजान है रास्ता,
मंजिल की साजिशों से|
हम हैं की उससे,
घर का पता पूछते हैं|
उस अंजुमन में कोई नहीं मेरे सिवा,
हम हैं के उससे यारों का पता पूछते हैं|
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