सवाल

मिलेगा क्या बयाने बेखुदी से,
उन सवालों को ज़हन में ही रहने दो|

उसूल तुमसे पूछके बनाये नहीं थे ज़माने ने,
कहते हैं जो लोग उन्हें कहने दो|
उन सवालों को ज़हन में ही रहने दो|

बुझने मत देना शमा ऐ वफ़ा हमसफ़र,
जज्बातों को खामोश ही ज़ुल्म सहने दो|
उन सवालों को ज़हन में ही रहने दो|

वक़्त बदलता है, उसकी अदा है ‘वीर’,
जहाँ रुख हो लहरों का, जिंदिगी को बहने दो|
उन सवालों को ज़हन में ही रहने दो|