जलते चिरागों को बुझाया नहीं करते,
वफ़ा में खुदी को मिटाया नहीं करते|
इंतज़ार तो मोहब्बत का नसीब है,
बेखुदी में होश गवाया नहीं करते|
ख़ामोशी की सदा, ख़ामोशी ही होगी|
हर आहट पे, सदाओं का दरवाज़ा, खटखटाया नहीं करते|
ये सब दिल बहलाने के बहाने हैं!
प्यार की स्याही हो, शमाओं में जलाया नहीं करते|
अश्कों की बारिशें अभी थमी कहाँ है
बेवजह दामन सुखाया नहीं करते|
हमसफ़र सेहरा में बिछड़ जाए तो क्या,
रेत से क़दमों के निशान मिटाया नहीं करते|
कुछ लम्हों में, जिन्दगी क़ैद है,
यादों के आईने से, तस्वीरें मिटाया नहीं करते|
हर गम का चारागाह नहीं मिलता,
हर गम की दवा कराया नहीं करते|
वीर,
ज़माने से तो गम मिले हैं, ज़माने से आरज़ू क्या है|
कुछ ज़ख्म हमारे अपने हैं,
हर किसी को दास्तान-ऐ-ज़िन्दगी सुनाया नहीं करते|
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