खुद से जब मैं सच्चा था,
दुनिया की नज़र में बच्चा था|
हासिल नहीं था बहोत ज़िन्दगी से,
थोडा बहुत था, अच्छा था|
खुद से जब मैं सच्चा था|
गम सजाना बचपन से अदा थी,
अक्लमंदों की समझ में, कच्चा था|
खुद से जब मैं सच्चा था|
हौसले बुलंद हुआ करते थे,
इरादों का पक्का था|
खुद से जब में सच्चा था|
मासूमियत थी चेहरे पर,
दिल मैं दर्द सबका था|
खुद से जब मैं सच्चा था|
संभलकर रखी थी दौलत मुट्ठी में,
किसी का दिया जो वो सिक्का था|
खुद से जब मैं सच्चा था|
धुप खुशगवार हुआ करती थी,
आँचल मैं उसने साए को जकड़ा था|
खुद से जब मैं सच्चा था|
तुम आओ जो कभी तो दिल में बस जाना,
दिल का कोना तुम्हारे लिए रखा था|
खुद से जब में सच्चा था|
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खुद से जब मैं सच्चा था,
दुनिया की नज़र में बच्चा था|
हासिल नहीं था बहोत ज़िन्दगी से,
थोडा बहुत था, अच्छा था|
खुद से जब मैं सच्चा था|
गम सजाना बचपन से अदा थी,
अक्लमंदों की समझ में, कच्चा था|
खुद से जब मैं सच्चा था|
……सच कहा …… सच्चे लोगों को दुनिया कच्चा ही मानती हैु.. बहुत खूब